मुंबई: बॉलीवुड फिल्म 'उड़ता पंजाब' को लेकर चल रही कंट्रोवर्सी अब भी जारी है। सेंसर बोर्ड और फिल्म मेकर्स के बीच फिल्म के टाइटल को बदलने और कुछ हिस्से हटाए जाने को लेकर विवाद है। लेकिन एेसा बॉलीवुड में पहली बार नहीं है, जब किसी फिल्म को लेकर सेंसर और प्रोड्सूसर में अन-बन हुई हो। पहले भी कई फिल्मों को लेकर विवाद होते रहे हैं। कई फिल्में तो विवादों में इस कदर फंसी कि वो आज तक रिलीज ही नहीं हो पाई। आज हम आपको एेसी ही फिल्मों के बारे में बताएंगे जिन पर न सिर्फ सेंसर की कैंची चली बल्कि इन्हें बैन ही कर दिया गया।
बैंडिट क्वीन- बॉलीवुड डायरैक्टर शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' को सेंसर ने वल्गर और इनडिसेंट कंटेंट के चलते बैन कर दिया था।फायर- बॉलीवुड डायरैक्टर दीपा मेहता की फिल्म 'फायर' में हिंदू फैमिली की दो सिस्टर-इन-लॉ को लेस्बियन बताया गया है। फिल्म का शिवसेना समेत कई हिंदू संगठनों ने काफी विरोध किया था।काफी विवाद के बाद आखिरकार सेंसर ने इसे बैन कर दिया।
कामसूत्र-अ टेल ऑफ लव- बॉलीवुड डायरैक्टर मीरा नायर की यह फिल्म 'कामसूत्र' पर बेस्ड थी। फिल्म में काफी हद तक खुलापन था। कई विवादों के बाद सेंसर ने इसे बैन कर दिया था।
ब्लैक फ्राइडे- राइटर एस हुसैन जैदी की किताब पर बनी फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' अनुराग कश्यप की दूसरी फ़िल्म थी, जिसे सेंसर बोर्ड ने बैन किया था।
वाटर- दीपा मेहता की यह दूसरी फ़िल्म थी, जो विवादों में फंसी। एक इंडियन विडो को सोसायटी में कैसे-कैसे हालातों से गुज़रना पड़ता है, यही फिल्म की कहानी है। आखिरकार सेंसर को यह फिल्म भी बैन करनी पड़ी।
परजानिया- यह फिल्म गुजरात दंगों पर बेस्ड थी। कुछ लोगों ने इसे सराहा तो कई ने इसे क्रिटिसाइज भी किया। लेकिन गुजरात दंगे जैसे सेंसेटिव सब्जेक्टर कीवजह से इस फ़िल्म को गुजरात में बैन कर दिया गया था।
पांच- अनुराग कश्यप और सेंसर बोर्ड की दुश्मनी मानों काफी पुरानी है। उनकी फ़िल्म 'पांच' जोशी अभ्यंकर के सीरियल मर्डर पर बेस्ड थी। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को इसलिए पास नहीं किया क्योंकि इसमें हिंसा, अश्लील लैंग्वेज और ड्रग्स की लत को दिखाया गया था।
द पिंक मिरर- श्रीधर रंगायन की फिल्म 'द पिंक मिरर' सेंसर बोर्ड को इसलिए पसंद नहीं आई क्योंकि इसमें समलैंगिक लोगों के हितों की बात बताई गई है। दुनिया के दूसरे फेस्टिवल्स में इस फ़िल्म को सराहा गया था लेकिन भारत में सेंसर बोर्ड ने इसे बैन कर दिया था।
फिराक- फिराक दूसरी फ़िल्म है, जो गुजरात दंगों पर बनी। प्रोड्यूसर्स के मुताबिक यह फ़िल्म सच्ची घटनाओं पर बेस्ड थी, जो गुजरात दंगों के समय हुई थीं। एक्ट्रेस नंदिता दास को इस फ़िल्म के लिए कई संगठनों से काफ़ी विरोध झेलना पड़ा था। आखिरकार सेंसर बोर्ड ने इसे बैन कर दिया। हालांकि कुछ समय बाद जब ये फ़िल्म रिलीज़ हुई, तब इसे आलोचकों और दर्शकों से काफ़ी तारीफ मिली थी।
बॉलीवुड में एेसी कई और भी फिल्में भी है जो बैन कर दी गई थी।
source : punjab kesari
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